Last Updated :05:24 PM
मुंबई :कोरोना महामारी के कारन देश मे लॉक डाउन अभी भी जा रही है जिसके कारन सब कारोबार बंद पड़े थे। इसके कारन अब बड़े बड़े कारोबार अपने कर्मचारीओ के वेतन मे कर रहे है कटौती तो कई कंपनी का इतना नुकसान हो गया है की उन्होंने सीधे बोहोत सारे लोगो को नौकरी से निकला है। इसमे ऐसे भी लोग है जो 4 से 5 सालो से कंपनी मे काम कर रहे है जिन्हे इस हालत मे नौकरी से निकाला जा रहा है। ऐसे मे ग्रजुएटी मे क्या असर पड़ेगा ये सबसे बड़ा सवाल की उनको मिलेगी ग्रेचुइटी इस बारे मे केंद्र सरकार ने कुछ नियम बनाये है आइये जानते है इसके बारे मे।
क्या कहता है ग्रेचुइटी एक्ट 1972 ?
- ग्रेचुइटी एक्ट 1972 अगर कोई कर्मचारी निजी क्षेत्र मे 5 साल या उससे ज्यादा काम करता हो तो उसे ग्रेचुइटी मिलती है।
- लेकिन अगर 5 साल पहले कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है या फिर शारीरिक विकलांगता आ जाती है तो भी वो कर्मचारी ग्रेचुइटी लेने के काबिल माना जाता है।
- इसके आलावा अगर कंपनी के संकट समय या फिर हड़ताल के कारन कर्मचारी को नौकरी चलती जाती है फिर कुछ समय रुक जाती है तो भी वो आदमी ग्रेचुइटी पाने का हक़दार है।
[इस तरह से निकली जाती है ग्रेचुइटी:
- ग्रेचुइटी को निलनले का फार्मूला कुछ इस प्रकार है आखिरी वेतन *नौकरी की अवधि *15*26
- समझ लीजिये की आपने किसी कंपनी मे 5 साल 8 महीने काम किया है और जॉब छोड़ दिया जब आपने जॉब छोड़ा तब आपकी सैलरी 15 हजार महीना थी तो आपकी ग्रेचुइटी की राशि
- 15000*6*15/26 =51923 रुपये ग्रेचुइटी राशि मिलेगी।
इसके आलावा कर्मचारी को ऐसे समय भी ग्रेचुइटी मिलती है जिसमे उस व्यक्ति ने पांचवे साल मे 240 दिन काम किया हो अगर 240 दिन से ज्यादा काम पर है तो पांचवा साल पूरा माना जाता है लेकिन अगर पांचवे साल मे 240 दिन पुरे होने के पहले निजी करने से नौकरी छोड़ देते है तो ग्रेचुइटी आपको नहीं मिलेगी।
अगर कोरोना महामारी के कारन आपकी जॉब चली गयी है और आपके 5 साल पुरे हो गए है तो निश्चिंत रहिये क्यों की आपको उन पांच सालो की ग्रेचुइटी मिलेगी।
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