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Loan Insurance क्या है और ये कैसे काम करता है यहाँ जाने पूरी जानकारी

लोन  लेने के बाद लोन धारक उसे हर महीने के EMI के रूप मे अपने लोन कंपनी को ब्याजसहित वापिस करता है। लेकिन कभी कभी ऐसे बुरे हालात आ जाते है की लोन धारक अपने लोन को वापिस नहीं कर पाता लोन लेने वाला आदमी किसी कारन लोन के EMI को भर नहीं पाता है इसके बोहोत सारे कारन हो सकते है जैसे की नौकरी जाना ,एक्सीडेंट मे विकलांग हो जाना ,ऐसे हालत मे लोन इन्शुरन्स लोन के कवच के रूप मे काम करता है। लोन समय पर भर नहीं पाने पर और लोन इन्शुरन्स होने पर इन्शुरन्स कंपनी लोन के EMI को चुकाती है। लोन इन्शुरन्स अलग अलग तरह के है। 


लोन इन्शुरन्स :(Loan Insurance)

  • लोन इन्शुरन्स लोन धारक को कठिन हालत मे लोन EMI की राशि वापिस करने मे मदत करता है। 
  • लोन लेने के बाद लोन धारक इस लोन इन्शुरन्स विकल्प को चुन सकता है। 
  • लोन इन्शुरन्स पालिसी १८ से 65 साल के बिच के आदमी के लिए है। 
  • लोन  इन्शुरन्स का विकल्प आप पर्सनल लोन ,कार लोन ,होम लोन ,क्रेडिट कार्ड्स जैसे प्रोड्कट पर ले सकते है। 
  • लोन इन्शुरन्स देने वाली कंपनी एक तय किये हुए प्रीमियम के आधार पर लोन प्रोटेक्टिव कवर देती है। 

लोन इन्शुरन्स के प्रकार :(Types Of Loan Insurance)


स्टैण्डर्ड इन्शुरन्स पालिसी :(Standard Insurance Policy)

  •  लोन इन्शुरन्स देने वाली बिमा कम्पनिया इस समय 2 तरह  के इन्शुरन्स  पालिसी का विकल्प। 
  • इसमे पहली है स्टैण्डर्ड इन्शुरन्स पालिसी पालिसी धारक कवरेज की राशि का खुद चयन कर सकता है। 
  • हलाकि इस इन्शुरन्स पालिसी मे 24 महीने के ज्यादा का कवरेज समय नहीं चुना जा सकता है। 
  • इस पालिसी मे धारक के धारक के उम्र और इनकम पर ध्यान नहीं दिया जाता है। 
  • स्टैण्डर्ड इन्शुरन्स पालिसी मे पालिसी का प्रीमियम एक सामान होता है इसमे ज्यादा बदलाव नहीं होता है। 

आयु के आधार पर मिलने वाली इन्शुरन्स पालिसी :(Age Based Insurance Policy)

  • इसी समय दूसरे प्रकार मे लोन धारक के उम्र के आधार पर लोन इन्शुरन्स कवर दिया जाता है। 
  • इस विकल्प मे पालिसी का कवरेज ज्यादा से ज्यादा 12 महीने का हो सकता है। 
  • इस विकल्प मे कम उम्र वाले लोगो का पालिसी प्रीमियम कम होता है क्यों की इसमे लोन डूबने का खतरा कम होता है। 
  • इसी समय ज्यादा उम्र वाले लोगो का प्रीमियम ज्यादा होता है जिसमे लोन धारक की मौत आदि कारन जुड़े है। 

लोन इन्शुरन्स प्रीमियम कैलकुलेशन प्रोसेस :(Loan Insurance Premium Calculation Process)

  • लोन इन्शुरन्स और उसका प्रीमियम हर  धारक के लिए सामान नहीं होता है इसे उस लोन धारक के लोन के आधार पर चुना जाता है। 
  • सबस पहले इन्शुरन्स कंपनी लोन की कुल राशि को देखती है अगर लोन की राशि ज्यादा है तो इन्शुरन्स का प्रीमियम भी ज्यादा रहेगा। 
  • इसके बाद लोन को वापिस करने के समय कितना है यह भी देखा जाता है बड़े टेन्योर पर प्रीमियम पर ज्यादा होता है। 
  • इसी समय इन्शुरन्स कंपनी लोन धारक के उम्र को भी आधार बनाती है जितनी ज्यादा उम्र होगी प्रीमियम भी उसके ही आधार पर बढ़ेगी। ,
  • lइन्शुरन्स कंपनी लोन धारक के हेल्थ पर भी प्रीमियम को बढ़ा सकती है। 

लोन इन्शुरन्स लेने के लाभ :(Benifits Of Loan Insurance)

  • लोन इन्शुरन्स लेने के बाद अगर किसी कारन आपकी नौकरी चली जाती है या फिर अपघात मे विकलांगता या फिर मृत्यु हो जाती है तो समय बचे हुए लोन को लोन इन्शुरन्स कंपनी कवरेज के अनुसार पेमेंट करती है जिससे लोन धारक का बोझ कम हो जाता है। 
  • इसी समय ऐसे दुखद घटनाओ के समय पर लोन धारक के परिवार को सँभालने का अवधि मिल जाता है। 
  • लोन इन्शुरन्स मे कुछ ऐसे इन्शुरन्स विकल्प है जिसमे पुरे कवरेज समय मे लोन धारक आसानी से खुद लोन EMI भरता है तो लोन इन्शुरन्स की कुछ राशि   मनी बैक के तहत वापिस दी जाती है। 
  • इसी समय लोन इन्शुरन्स लेने पर कई इन्शुरन्स कम्पनिया सेक्शन 80 c के तहत प्रीमियम पर टैक्स लाभ भी देती है। 

क्या लेना चाहिए लोन इन्शुरन्स पालिसी :)Should You Opt)

  • लोन इन्शुरन्स एक सामन्य  इन्शुरन्स के तरह ही आपदा के समय आपकी मदत करता है। 
  • आनेवाले समय मे अगर आपका पास लोन वापिस करने के लिए कोई बैकअप  विकल्प नहीं है तो  आप इस विकल्प  को चुन सकते है। 
  • हलाकि लोन इन्शुरन्स चुनते  समय आपको प्रीमियम की राशि और उसमे मिलने वाले लाभ को ध्यान से देखना चाहिए। 

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