बढ़ते महंगाई और खर्चे को देखकर हर आदमी के जीवन मे ऐसा समय जरुरत आता है जब उसे लोन लेना पड़ता है। इसके कारन अलग अलग हो सकते है जैसे की मेडिकल इमरजेंसी ,बच्चो की शिक्षा ,बच्चो की शादी,घर खदिरना कार खरीदना इस तरह के। कुछ लोग लोन के जरिये मोबाईल या अन्य कंजूमर इलेक्ट्रॉनिक चीजे भी खरीदते है। ऐसे समय लोन विकल्प काफी महत्वपूर्ण साबित होता है। लेकिन लोन लेने के बाद उसे वापिस करना होता है जो EMI के रूप मे वापिस लिया जाता है अब सवाल ये है की EMI kya Hota hai और EMI कैसे निकला जाता है। चलिए जानते है इस पोस्ट के जरिये की EMI kaise kaam karta hai .
EMI क्या होता है ?(What Is EMI In Hindi)
- EMI का पूरा मतलब है हर महीने की किस मतलब लोन लेने के बाद वापिस किये जाने वाली मासिक किश्त है।
- लोन को लेने के बाद बैंक की तरफ से आपको लोन वापिस करने के लिए प्रिंसिपल राशि और ब्याज की हर महीने की राशि बताई जाती है जो EMI होती है।
- यह EMI राशि हर महीने तय दिन पर चयन किये गए समउ तक लोन पूरा होने तक भरनी होती है।
- यह राशि आपके लोन के राशि पर और ब्याजदर पर निकली जाती है जो चुने गया समय मे कम ज्यादा हो सकती है।
No Cost EMI क्या है ?
- नो कोस्ट EMI एक ऐसा EMI का प्रकार है जिसमे प्रिंसिपल लोन पर कोई ब्याज नहीं लिया जाता है।
- छोटे समय के क्रेडिट कार्ड द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग विकल्प मे यह सुविधा दी जाती है।
- कंजूमर इलेट्रॉनिक्स ऑनलाइन खरीदने के लिए यह विकल्प काफी लोकप्रिय है।
EMI कैसे तय किया जाता है ?
- ग्राहक के द्वारा लोन के लिए आवेदन करने के बाद आपके सिबिल स्कोर और अन्य जानकारी के साथ आपकी लोन की राशि तय की जाती है।
- समझ लीजिये की आपने 5 लाख लोन के लिए आवेदन किया था जो आपको मंजूर किया गया है।
- अब बैंक आपके बैंक खाते मे लोन देने के लिए आपके EMI की राशि कैलकुलेट करेगी।
- इसमे अगर आपने लोन का टेन्योर 36 महीने का चुना है और इसपर बैंक 11 फीसदी से ब्याज ले रही है।
- तो ऐसे समय आपको हर महीने 16,369 रुपये की EMI देनी होगी जिसमे 4,583.रुपये ब्याज की राशि होगी।
- आखिर मे 5 लाख का लोन लेने के बाद आपको 36 महीने मे प्रिंसिपल राशि के 5 लाख के ऊपर 89,297.00 रुपये ब्याज वापिस करना होगा।
EMI को तय करने वाले पॉइंट्स :
- EMI की राशि मे लिए गए लोन की कुल राशि।
- राशि पर बैंक की तरफ से तय की गयी ब्याजदर
- ब्याजदर मे फिक्स्ड और फ्लोटिंग २ विकल्प है जो भी EMI पर असर डालते है।
- और आखिर मे आप लोन को वापिस करने का समेत इसमे जितना समय कम उतना ब्याज कम हो जाता है।
EMI की लोन ब्याजदरे :
Loan लेने के बाद तय ब्याजदरों के जरिये EMI की राशि फिक्स की जाती है बैंक और अन्य NBFC कम्पनिया अपने तय दर से ग्राहकको को ब्याज लगाती है जिसमे 2 प्रकार के ब्याजदर विकल्प है।
1 .Fixed इंट्रेस्ट रेट्स :
- इस विकल्प मे EMI पर लगाई गयी ब्याजदर लोन को पूरा वापिस करने तक वही रहती है।
- निचित ब्याजदर मे EMI की राशि हर महीने सामान रहती है इसमे बदलाव नहीं होता है।
- इस विकल्प मे लोन के शुरवात से लेकर अंत तक आपको EMI की जानकारी स्पष्ट होती है।
- निश्चित ब्याजदर जो पहले लागु की जाती है फ्लोटिंग ब्याजदरों से ज्यादा होती है।
2 फ्लोटिंग ब्याजदर :
- इस ब्याजदर विकल्प के जरिये लोन लेने के बाद ब्याजदर की राशि बदलती रहती है जिससे EMI भी कम ज्यादा होता है।
- RBI के रिपोर रेट आदि दरों मे बदलाव के बाद इस फ्लोटिंग ब्याजदर पर असर पड़ता है।
- इसलिए लोन की पहली EMI और आखिरी EMI की राशि कभी सामान नहीं रहती।
EMI पर लगने वाले शुल्क :
- लोन लेने के बाद सबसे पहले लोन पर प्रोसेसिंग शुल्क लिया जाता है जो हर बैंक या NBFC का अलग होता है।
- इसके बाद EMI शुरू होने के बाद अगर EMI सही तारीख पर भर नहीं पाते है तो EMI bounce चार्जेज लगते है जो 1200 रुपये तक हो सकते है।
- बाउंस चार्जेज जितनी बार EMI बाउंस हुआ है उतनी बार काटा जाता है।
- इसके आलावा EMI लेट पेमेंट इंट्रेस्ट पर भी पेनल्टी लगती है जो की 4 फीसदी प्रति महीना हो सकती हैं।
EMI पेमेंट के विकल्प :
- लोन लेने के बाद लोन प्रदान करने वाली कंपनी बैंक बैंक ऑटो डेबिट फैसिलिटी को चालू करती है जो आपके बैंक खाते से लिंक होती है।
- इसके बाद हर महीन तय तारीख को EMI की राशि लोन धारक के बैंक खाते से काटी जाती है इसके लिए लोन धारक को बैंक खाते मे पर्याप्त राशि रखना जरुरी होता है।
- इसी समय लोन पहले या तारीख के बाद ऑनलाइन विकल्प के जरिये पेमेंट किया जा सकता है।
- इसके लिए आपको इण्टरनेंट बैंकिंग मे जाकर या दूसरे अप्प्स मे जाकर लोन खाता नंबर डालना होता है।
- लोन खाते की जानकारी और पेंडिंग राशि आपको दिखाई जाती है डेबिट कार्ड ,UPI के जरिये भरा जा सकता है।
EMI के फायदे :
- EMI विकल्प आपको ज्यादा खर्चीक चीजे हात मे पैसे नहीं होने पर खरीदने का मौका देता है।
- जैसे की आप कार लोन के जरिये कार खरीद सकते है और उसके बाद emi के जरिये छोटी छोटी राशि मे लोन को चुकता कर सकते है।
- आप आपके महीने के इनकम के जरिये EMI की राशि आराम से भरकर कूद को निश्चिंत कर सकते है।
- EMI सीधे लोन देने वाले कंपनी बैंक को जाता हैं जिसमे आपको बिच मे किसी को अतरिक्त राशि देने की जरुरत नहीं पड़ती है।
- लोन लेने के बाद हर महीने की EMI की जानकारी देखकर आप आपके खर्चे का बजट EMI की राशि को अलग निकाल सकते है।
EMI के नुकसान :
- लोन पर EMI भुगतान विकल्प आपको लोन को चुकाने मे लम्बा समय लगता है।
- EMI की राशि समय पर ना भरने पर bounce चार्जेज और अन्य शुल्क लगते है जो बोझ को और बढ़ा देते है।
- EMI पर ली गयी कम कीमत की चीज राशि वापिस करते समय ब्याज के कारन बढ़ जाती है।
- लोन पर EMI विकल्प चुनने के बाद अगर आप इसे समय के पहले चुकाना चाहते है तो प्रीपेमेंट शुल्क देना पड़ता है।
- कठिन हालत मे EMI की राशि को घर को चलना मुश्किल बनता है।
EMI निश्चित तौर पर लोन को वापिस करने का एक सबसे अच्छा विकल्प है जो की लोन की राशि एक साथ भरने के बजाये किश्तों मे वापिस करने का विकल्प देता है। हलाकि जरुरत के समय ही सिर्फ लोन लेना चाहिए इसके आलावा आपके वापस करने की क्षमता को सबसे पहले अच्छे से जांचना चाहिए।
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